"Honorable National President" माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष !

Party President

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शुभम यादव जी

उत्तर प्रदेश के एक प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी परिवार से संबंध रखने वाले वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनेता के गौरवशाली वंशज हैं। उनके परिवार का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान न केवल उल्लेखनीय, बल्कि अद्वितीय और अमिट है। स्वतंत्रता की इस कठिन यात्रा में उनके परिवार को कई बार गिरफ्तारियों और कारावास का सामना करना पड़ा। जब परिवार के सभी पुरुष सदस्य जेल में थे, तब महिलाओं और बच्चों को भी असहनीय शारीरिक व मानसिक यातनाओं का शिकार बनना पड़ा। फिर भी, उन्होंने हर यातना को अत्यंत साहस, धैर्य और आत्मगौरव के साथ झेला — उनके आत्मसम्मान की लौ कभी मंद नहीं पड़ी।भारत की आज़ादी की लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाने के साथ-साथ, इस परिवार ने स्वतंत्रता के पश्चात भी देश सेवा को अपना परम कर्तव्य माना। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान से निष्ठा, समर्पण और प्रतिष्ठा की मिसाल कायम की है।

Name : Shubham Yadav

Gender : Male

Birthday : 19 May

Marital Status : Unmarried

Religion : Humanity is my Religion

Nationality : Indian

Academic Profession : Researcher

Alma Matters : University of Oxford,U.K.

B.tech,MBA,D.Phil.
Researcher,Entrepreneur,Politician.
University of Oxford,U.K.
Self-motivation.
Actively and consistently struggling for the all-round development of the rural poor, farmers, workers and downtrodden.
"Death is better than a vegetating ignorant life; it is better to die on the battlefield than to live a life of defeat… Come, do something heroic."
Bhagavad Gita
Working towards educational empowerment of economically weaker children.
Born on Earth to complete a task of God.
विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में, खम ठोंक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है,पत्थर पानी बन जाता है। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ? जिसने न कभी आराम किया,विघ्नों में रहकर नाम किया।